Wednesday, August 27, 2008

गायक मुकेश के गुजराती श्रोताओं के लिये ये सुरीली भेंट

इंटरनेट ने चीज़ों को आसान बनाया है और ब्लॉग लेखन ने ये शऊर दिया है कि चीज़ों को दूसरों के साथ बाँटों....क्या क्या छाती पर बांध कर ले जाओगे.यूनुस भाई और सागर भाई के साथ मिलकर श्रोता-बिरादरी के लिये जब मुकेश स्मृति-दिवस(27 अगस्त) पर काम चल रहा था तो मैं भी मुकेशजी के कुछ ऐसे गीत ढ़ूँढ् रहा था जो कम सुनने मे आते हैं.अनायास एक ऐसा संचयन नज़र आया जिसमें मुकेशजी के गाये गुजराती नग़में मौजूद हैं.मन ने कहा कि ब्लॉग-बिरादरी में ऐसे कई गुजराती-भाषी या मेरे जैसे गुजराती समझने वाले मित्र हैं जो मुकेशजी के इन गीतों को सुनकर आनंदित होंगे.हाँ यह भी बताता दूँ कि मुकेशजी की जीवन-सखी सरलबेन(बची बेन) गुजराती परिवार थीं सो विवाह के बाद परिवार में वैसा ही वातावरण लाज़मी है.

मुकेश-बरसी पर आज रेडियो,अख़बार और इंटरनेट पर कई आयोजन होंगे और संस्मरण लिखे जाएंगे लेकिन अपनी ओर से ये बात ज़रूर कहना चाहूँगा कि इस गायक को सिर्फ़ सुनकर कोई भी अंदाज़ लगा सकता है कि मुकेश भद्रता के पर्याय थे.मुझे पूरा विश्वास है यह कहते हुए कि संगीतकार अपनी धुन बनाते वक़्त ही तय कर लेते होंगे कि इस गीत में मुकेश को गवाना है. जो भी गीत मुकेशजी ने गाए हैं उनमें एक विशिष्ट सचाई और खरापन सुनाई देता है.

आज सुरपेटी पर जारी इस मुकेश गुजराती संचयन में ज़्यादातर गीतों में जीवन का मर्म,सत्य,नसीहते,नश्वरता,आध्यात्म और रूहानी तबियत का गहरा अहसास है.कहीं कहीं लगता है जैसे ये गीत कबीरी छाप वाले गीत हैं . आप इन्हें गुजराती भाव-गीत भी कह सकते हैं. हो सकता है आप गुजराती बहुत नहीं समझते हों लेकिन आज मुकेशजी की पुण्य-तिथि के दिन इस महान गायक की गान-परम्परा का एक अलग रूप अनुभव तो कर ही सकते हैं.मुकेशजी को सारे संगीत-प्रेमियों की श्रध्दांजलि.

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5 comments:

siddheshwar singh said...

बहुत बढिया संजय दद्दा!
मन प्रसन्न हुआ!!!

Udan Tashtari said...

जबरदस्त!! आभार सुनवाने का.

लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्` said...

सँजय भाई ,
बहु मज़ा पडी !..
गुजराती शब्दोँ नुँ
हिन्दी रुपाँतर पण मुकी दो ने ..:)
- लावण्या

Harshad Jangla said...

સઁજયંભાઇ
યાદગાર ગીતો મુકવા બદલ ખુબ ખુબ આભાર .
લાવણ્યા બહેન નુ સુચન સરસ છે. અમલ કરશો તો આનઁદ થશે.
-હર્ષદ જાઁગલા
એટલાંટા, યુએસએ

Unknown said...

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