अतीत गलियारों की सैर हमेशा सुखदायी होती है वह भी तब जब आप गुज़रे ज़माने के ऐसे अज़ीम फ़नकार से रूबरू हों जिन्होंने अपनी सुमधुर गायकी से पूरे देश को लगभग सम्मोहित ही कर लिया था. बात कर रहा हूँ पं.नारायणराव व्यास की. ग्वालियर घराने के ऐसे गुणी-गायक जिनके स्वर का माधुर्य आज भी कानों में घुल जाये तो लगता है कि अब और क्या सुनना है. टीप में सुरभित उनका स्वर जब तीनों सप्तकों में घूमता था तो लगता था बस यही तो है वह गायकी जिसे हम सुनना चाहते हैं. पंडितजी और पं.विनायकराव पटवर्धन की जुगलबंदी की वह रचना तो संगीतप्रेमियों की अमानत है जो इन दोनो महान गायकों ने राग मालगुंजी में गाई है , बंदिश के बोल हैं ब्रज में चरावत गैया. वह भी किसी दिन आपको सुरपेटी पर सुनवा देंगे.
अभी तो आनंद लीजिये राग दुर्गा में निबध्द छोटे ख़याल का जिसे स्वर दिया है
पं.नारायणराव व्यास ने.सुनकर ज़रूर बताइये कि राग दुर्गा आपके दिल में कहाँ तक उतरा.
7 comments:
दिल में उतरा ही नहीं पार हो गया। शास्त्रीय संगीत की समझ नहीं है, मगर सुनते खूब हैं।
संजय भाई रात की खमोशी मॆ सचमुच अगर कुछ दिल सुनने का होता है तो वह शास्त्रीय संगीत ही है...बहुत अच्छा लगा।
aabhaar aabhaar
Sanjaybhai
Nice presentation.
Thanx.
-Harshad Jangla
Atlanta, USA
मुझे दुर्गा बहुत पसन्द है - भीमसेन जोशी, राजन-साजन मिश्रा, गुलाम मुस्तफा खान की बन्दिश मेरे पास है - व्यास जी को सुनना भी शानदार रहा ! शुक्रिया और बधाई !
कैसा संयोग है कि कल ही पंडित विद्याधर व्यास के साथ था . अपने संस्थान में उनका एक कार्यक्रम आयोजित किया था जिसमें उन्हें सुन-सराह रहा था .
उनसे उनके स्वनामधन्य पिता के गायन के बारे में भी बात की थी . तिलक कामोद में निबद्ध 'नीर भरन कैसे जाऊं सखी री' के बारे में बात हुई . आज आपके माध्यम से राग दुर्गा में 'सखी मोरी रुमझुम' सुन रहा हूं . आभार !
www.fluteguru.in
Pandit Dipankar Ray teaching Hindustani Classical Music with the medium of bansuri (Indian bamboo flute). For more information, please visit www.fluteguru.in or dial +91 94 34 213026, +91 97 32 543996
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