जयपुर अतरौली घराने की नुमाइंदगी करने वाली युवा गायिका आरती अंकलीकर भारतीय शास्त्रीय संगीत परिदृष्य की लोकप्रिय कलाकार हैं.शास्त्रीय और उप-शास्त्रीय संगीत दोनो ही विधाओं में उन्हें सुनना हमेशा विस्मय और सुक़ून देता है. अभी हाल ही में वे इन्दौर तशरीफ़ लाईं जिसके बारे में अपने ब्लॉग एक मुलाक़ात में जल्द ही लिखूंगा..फ़िलहाल इस रचना का आनंद लीजिये.शब्द के अनुरूप भाव को ढालने से ही कविता निहाल हो जाती है. दिव्य स्वर का स्पर्श कितना कुछ बदल देता है किसी बंदिश को ये आप यहाँ महसूस करेंगे.मालूम होवे के आरती गान-सरस्वती किशोरी अमोणकर की शिष्य हैं और फ़िल्म सरदारी बेग़म में सफल गायन कर चुकीं हैं.
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