उस्ताद नुसरत फ़तेह अली का नाम ज़ुबाँ आए तो समझिये इबादत हो गई. क़व्वाली को जिस अंदाज़ में उन्होंने गाया है वह जितना रूहानी है उतना ही करामाती भी. बस सुनते वक़्त चाहिये थोड़ी सी तसल्ली और एक क़िस्म की लगन.यदि ये दोनो आपके पास हैं तो नुसरत बाबा यक़ीनन आपको दूसरी दुनिया में ले जाने का हुनर रखते हैं. वहाँ विलक्षण गायकी है,लयकारी है और आबाद हैं स्वर के कुछ ऐसे करिश्माई तेवर जो आपको झकझोर कर रख देंगे.कितने अलग अंदाज़ से नुसरत बाबा ने गढ़ी है क़व्वाली की यह रिवायत...आनंद लीजिये.