Monday, November 23, 2009

आरती अंकलीकर के स्वर में एक सुन्दर रचना


जयपुर अतरौली घराने की नुमाइंदगी करने वाली युवा गायिका आरती अंकलीकर भारतीय शास्त्रीय संगीत परिदृष्य की लोकप्रिय कलाकार हैं.शास्त्रीय और उप-शास्त्रीय संगीत दोनो ही विधाओं में उन्हें सुनना हमेशा विस्मय और सुक़ून देता है. अभी हाल ही में वे इन्दौर तशरीफ़ लाईं जिसके बारे में अपने ब्लॉग एक मुलाक़ात में जल्द ही लिखूंगा..फ़िलहाल इस रचना का आनंद लीजिये.शब्द के अनुरूप भाव को ढालने से ही कविता निहाल हो जाती है. दिव्य स्वर का स्पर्श कितना कुछ बदल देता है किसी बंदिश को ये आप यहाँ महसूस करेंगे.मालूम होवे के आरती गान-सरस्वती किशोरी अमोणकर की शिष्य हैं और फ़िल्म सरदारी बेग़म में सफल गायन कर चुकीं हैं.



Aarti Ankalikar - More Baanke Chhaliya .mp3
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4 comments:

अफ़लातून said...

संजय भाई , शुक्रिया आरतीजी को सुनवाने के लिए। अब ’सरदारी बेगम ’ भी सुन रहे हैं । ’मुलाकात” की प्रतीक्षा है ।

दिलीप कवठेकर said...

इन्दौर में संपन्न हुए इस समारोह में उन्हे सुनने की चाह थी मगर सुन नहीं पाया तो मन में हसरत रह गयी थी.

यहां आपनें वह चाह पूरी कर दी दी. धन्यवाद.

मुलाकात की प्रतिक्षा में...

(मुलाकत में हम उस व्यक्तित्व के उन पहलू से आप की वजह से रू ब रू होतें हैं, जिनके बारे में अधिकतर जानकारी नहीं होती. इसिलिये वह ब्लोग भी बढिया है)

HAREKRISHNAJI said...

बढीया

Unknown said...

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