Friday, October 3, 2008

वो नज़र नज़र से गले मिली तो बुझे चराग़ भी जल गए

सुरपेटी पर पहली बार तशरीफ़ ला रहे हैं उस्ताद मेहंदी हसन साहब.
न जाने कितनी बार लिख चुका हूँ कि ग़ज़ल की दुनिया का ये अज़ीम गुलूकार
शायरी की आन रखने के लिये ताज़िन्दगी अपने आप को झोंकता रहा है.
जब ख़ाँ साहब गा रहे होते हैं तब मूसीक़ी और शायरी को जैसे मनचाही परवाज़ मिल जाती है.
ग़ज़ल की दुनिया के नये कलाकारों के लिये ये ग़ज़ल और ख़ाँ साहब की गायकी सीखने वाली चीज़ है.
ज़रा ग़ौर कीजिये कि एक एक लफ़्ज़ के जो मानी है उस पर कैसे ठहरा जाता है जिससे शायर की
बात के साथ इंसाफ़ हो सके.ये हुनर सिर्फ़ गाने की उस्तादी से नहीं आता, इसके लिये कलाकार
के भीतर एक शायर की रूह होनी ज़रूरी है. बहुत से काम ज़िन्दगी में मैकेनिकल तरीक़े नही सधते जनाब.


अभी अभी रमज़ान का महीना विदा हुआ है और कई बार हम सब मेहंदी हसन मुरीद तहेदिल से दुआ करते रहे कि हमारे उस्तादजी की सेहत को तंदरुस्त बनाए..इंशाअल्ला.

नवरात्र के डाँडियों और गरबों की धूम में यदि आप घर पर ही संगीत की कोई शानदार की दावत लेना चाहते हैं तो ये ग़ज़ल आपको निश्चित ही सुकून देगी.सुनिये साहेबान !




ख़ाँ साहब की बहुत सारी ग़ज़लें सुख़नसाज़ पर भी सुनी जा सकती हैं.

9 comments:

Sushil Girdher said...

अगर आपके ब्लाग के विजिटर भागते रहते हैं, नए विजिटर तलाशने में गूगल साथ नही. देता है तो हर रोज सुबह नहा धोकर www.girdher.com साइट में ताजा लेख पढें और उसके बाद अपने दिमाग को गंगाजल से शुध्द कर लें। तत्पश्चात जहाँ टिप्पणी लिखी जाती हो , वहां माऊस का पहला बटन लाकर दबा दें। ऐसा करने के बाद आपके दिल में जो विचार हो उसे लिख डालें । आपके ब्लाग के विजिटर नियमित हो जाएंगें।

manvinder bhimber said...

bahut sunder.....mood fresh ho gaya

Anonymous said...

बहुत उम्दा प्रस्तुति!

परमजीत सिहँ बाली said...

bahut sunder

महेन said...

चराग़ जलते रहें। मेहदी साहब की उम्र अल्लाह दराज़ करे। बेहद खूबसूरत ग़ज़ल है संजय भाई।

लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्` said...

वाह खाँ साहब जैसी गज़ल गायकी किसी की भी नहीँ -
शुक्रिया --
बेताज बादशाह की आवाज़ सुनवाने का संजय भाई
स स्नेह,
- लावण्या

Manoshi Chatterjee मानोशी चटर्जी said...

मेहंदी हसन साहब की ग़ज़ल गायकी ने गज़लों की दुनिया में एक नई रवायत कायम की थी। आपने भी चुन कर उनकी बड़ी ख़ूबसूरत गज़ल को यहाँ लगाया है। शुक्रिया आपका इसे सुनवाने का।

siddheshwar singh said...

उस्ताद को सुना.
अपन कहां इस काबिल कि तारीफ कर सकें
बस सुनें और खामोश रहें.
मगर
आपकी पसंद की दाद तो
जितनी दफा दी जाय कम है
साधुवाद!

Unknown said...

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