Wednesday, July 1, 2009

अब कहाँ सुनने को मिलता है ऐसा भरा-पूरा मालकौंस ?


अभी 24 जून को संगीतमार्तण्ड ओंकारनाथ ठाकुर का जन्म दिन था. ग्वालियर घराने की गायकी के इस शीर्षस्थ गायक ने कुछ ऐसे अदभुत करिश्मे रचे जिसकी दूसरी मिसाल मिलना मुश्किल है. गुजरात में जन्में और वाराणसी में महामना पं.मदनमोहन मालवीय के आग्रह पर बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय में संगीत के आचार्य पद की गरिमा में इज़ाफ़ा किया. वे तत्कालीन संगीत परिदृष्य के सबसे आकर्षक व्यक्तित्व थे. महान रंगकर्मी पृथ्वीराज कपूर एक बार बी.एच.यू. पधारे तो उन्होंने अपने व्याख्यान में कहा कि पं.ओंकारनाथ ठाकुर से जैसा व्यक्तित्व तो रंगकर्म की विधा में होना चाहिये था. पचास और साठ के दशक में पण्डितजी की महफ़िलों का जलवा पूरे देश के मंचों पर छाया रहा. मेरे शहर इन्दौर में भी पण्डितजी की कई यादगार महफ़िलें हुईं.पं.ओंकारनाथ ठाकुर की गायकी में रंजकता का समावेश तो था ही;वे शास्त्र के अलावा भी अपनी गायकी में ऐसे रंग उड़ेलते थे कि एक सामान्य श्रोता भी उनकी कलाकारी का मुरीद हो जाता. उनका गाया वंदेमातरम या मैया मोरी मैं नहीं माखन खायो सुनने पर एक रूहानी अनुभूति होती है.प्रचार और पी.आर. के इस दौर में नई पीढ़ी के श्रोता पं.ओंकारनाथजी जैसे महार वाग्गेयकार का विस्मरण करती जा रही है जो बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है. मुझे यह कहते कोई झिझक नहीं कि पं.ठाकुर की गायकी का अनुसरण ही नहीं उनकी नक़ल भी बाद के कई नामचीन गायकों ने की और यश पाया.

आज सुरपेटी पर पण्डित ओंकारनाथ ठाकुर का गाया रात्रिकालीन राग मालकौंस सुनिये.विलम्बित और द्रुत लय में निबध्द ये बंदिश (पग घुंघरू बांध मीरा नाची रे) श्रोता को एक अलौकिक स्वर यात्रा करवाती है.
वैसे पण्डितजी की गायकी इतनी सुमधुर है कि इस उनका गायन कभी भी सुनें , आनंद ही देती है लेकिन हो सके तो इस प्रस्तुति को रात्रि के समय की सुनें,आनंद द्विगुणित होगा.

Raag Malkauns - Pa...

7 comments:

Neeraj Rohilla said...

संजय भाईजी,
बहुत आभार इस प्रस्तुति का। अभी इसको रात में फ़िर सुनेंगे (तुरन्त सुनने का लोभ संवरण नहीं कर सके)।

P.N. Subramanian said...

वाह ! एक अलौकिक आनंद की अनुभूति. आभार.

लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्` said...

वाह अद्`भुत उत्कृष्टता थी पं.ओंकारनाथ ठाकुर की गायकी मेँ - आभार इस प्रस्तुति का सँजय भाई
- लावण्या

Arvind Mishra said...

अद्भुत ,अलौकिक !

यारा said...

mukammal!!
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awdhesh p singh
Indore

Dr. G. S. NARANG said...

bahut sunder.

Unknown said...

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