Thursday, June 25, 2009

संगीतकार मदनमोहन - 85वाँ जन्मदिन-दो दुर्लभ गीत



अज़ीम संगीतकार मदनमोहन आज होते तो पूरे ८५ बरस के होते। ये कहने में कोई झिझक नहीं कि तमाम ख़राबियों के बाद यदि क़ायनात में कुछ सुरीला बचा है तो वह मदनमोहन जैसे गुणी संगीतकारों की बदौलत। नाक़ामयाब फ़िल्मों का क़ामयाब संगीत रचने वाले मदनमोहन के लिए आज संगीतप्रेमियों में जिस तरह जिज्ञासा, मोहब्बत और जुनून है ; काश ! वह उनके होते हुए होता तो शायद मदनजी १०-२० बरस और जी जाते। ख़ैर अब तो हम सब उनके न होने का अफ़सोस ही कर सकते हैं।

आज २५ जून मदनमोहनजी का जन्मदिन है। उनके बेटे संजीव कोहली मुंबई में रहते हैं और यशराज फ़िल्म्स में वरिष्ठ पद पर कार्यरत हैं। हर बरस वे अपने मरहूम पिता का जन्मदिन किसी न किसी रचनात्मक और सुरीले अंदाज़ में ज़रूर मनाते हैं और मदनजी के मुरीदों को मुंबई आमंत्रित करते हैं। अभी दो दिन पहले संजीवजी का लिफ़ाफ़ा मेरे हाथों में था। जब उसे खोला तो एक पत्र के साथ ख़ूबसूरती से डिज़ाइन किया हुआ एक सीडी भी निकला। "तेरे बग़ैर' शीर्षक के इस सीडी के आमुख में मदनमोहनजी की मोहिनी सूरत नज़र आई। जब सीडी को ध्यान से देखा तो वह वाक़ई किसी सुखद आश्चर्य से कम नहीं थी. सीडी में मदनमोहनजी के संगीतबद्ध ऐसे गीतों की मौजूदगी है जिनकी फ़िल्में किसी न किसी वजह से रिलीज़ न हो सकीं। इस सीडी में लता मंगेशकर, मोहम्मद रफ़ी, आशा भोसले, तलत मेहमूद और किशोर कुमार के गाए अनमोल गीत हैं। सबसे ज़्यादा चौंकाते हैं दो गीत । एक रफ़ी साहब का गाया हुआ शीर्षक गीत "कैसे कटेगी ज़िंदगी तेरे बग़ैर-तेरे बग़ैर (राजा मेहंदी अली ख़ॉं-१९६५)' दूसरा गीत लताजी ने गाया है बोले हैं "खिले कमल सी काया (इंदीवर-१९७२) 'दोनों गायक महान क्यों हैं यदि जानना हो तो इन दो गीतों को सुनिये और अगर यह समझना हो कि कोई संगीतकार किसी गीत की घड़ावन कैसे करता है तब भी इन दोनों गीतों सुनिये। इन गीतों को सुनने के बाद आपको ये भी अंदाज़ा हो जाता है कि मदनमोहन के भीतर महज़ एक संगीतकार नहीं एक कवि और शायर भी हर पल ज़िंदा रहा। यही वजह है कि जब आप इन दोनों गीतों को सुनते हैं तो समझ में आता है कि कविता को सुरीली ख़ुशबू कैसे पहनाई जाती है।

"तेरे बग़ैर' में कुल जमा १४ गीत हैं और इसके साथ एक और नज़राना पेश किया गया है। वह है फ़िल्म वीर-ज़ारा के गीतों की रचना प्रक्रिया की बानगी। इस सीडी में मदनमोहनजी आपको गुनगुनाते हुए सुनाई देते हैं और बाद में सुनाई देता है वह ओरिजनल गीत जो वीर-ज़ारा के लिए रेकॉर्ड किया गया। संजीव कोहली ने "तेरे बग़ैर' के प्रकाशन के लिए यश चोपड़ा साहब का ख़ास शुक्रिया अदा किया है। हॉं ये भी बताता चलूँ कि २५ जून के दिन ही संजीव कोहली ने मदनमोहन के नाम से एक वैबसाइट भी जारी कर दी गई है जिस पर इस बेजोड़ संगीतकार की शख़्सियत और संगीत की जानकारी उपलब्ध है.हाँ मदनमोहनजी,कलाकारों और कोहली परिवार के कुछ बहुत प्यारे चित्र भी यहाँ देखे जा सकते हैं.

इसमें कोई शक नहीं कि मदनमोहन हमारी ही दुनिया के इंसान थे लेकिन उनका संगीत न जाने किस लोक से आता था जो सुनने वाले को दीवाना बना देता था। ग़ज़लों को जिस अलहदा अंदाज़ में मदनजी ने कम्पोज़ किया है वह विलक्षण है। आज मदनमोहन के जन्मदिन पर आपको "तेरे बग़ैर' से दो गीत सुनवा रहा हूँ उम्मीद है इन गीतों की शब्द रचना और धुन आज पूरे दिन आपको मदनमोहन की याद दिलाती रहेगी।


10 comments:

अफलातून् said...

आनन्दम् । कल 'वीर जारा' वाली किसी चैनल पर भी दिखाया गया था ।

अफलातून् said...

वाली के बाद् 'प्रक्रिया' जोड कर पढें ।

मैथिली गुप्त said...

बहुत बहुत शुक्रिया संजय जी

मैथिली गुप्त said...

संजय जी, बहुत सुरीले गीत हैं
रफी साहब द्वारा गाया गया गीत कैसे कटेगी ज़िन्दगी तो एकदम नायाब है.

इस एलबम के बचे हुये गीत के लिये कितनी प्रतीक्षा करनी होगी?

Dr. G. S. NARANG said...

bahut hi sundar geet hai ``kaise kategi jindagi``.

Unknown said...

संजय भाई, ये दोनों गीत कई बार सुने हुए हैं, क्या ये गैर-फ़िल्मी हैं? अथवा किसी अलबम में हैं जो विविध भारती से किसी गैर फ़िल्मी कार्यक्रम में सुनाये जाते हैं?

संजय पटेल said...

सुरेश भाई
ये गीत बाक़ायदा किसी फ़िल्म के लिये बने थे और उसका रेकॉर्ड भी कर लिये गये थे.बाद में मदनजी की अनरीलिज़्ड फ़िल्मों के गीतों की ध्वनिमुद्रिका जारी हुई थी जो विविध भारती के पास भी है और हमारे रेकॉर्ड संकलनकर्ता सुमन चौरसिया के ख़ज़ाने में भी है.यह सीडी संवर्धित है और इन दोनो गीतों में ख़ास इफ़ेट्स भी डाले गये हैं.

लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्` said...

http://www.madanmohan.in/html/tere_bagair/tbmusic.html
बहुत बढिया संजय भाई -
मदन जी की
वेब साईट देख रही हूँ - वाह !
उम्दा प्रयास है !


- लावण्या



- लावण्या

यारा said...

kafi dino baad aaj surpeti pe aana hua ....shabd nahin kuchh kehne ko...sirf mehsoos kar raha

shukriya aapko ......jari rakhen ye nayaab silsila plz.

awdhesh p. singh
Indore

Unknown said...

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