बहुत दिनों से मन था कि एक ब्लॉग सिर्फ़ संगीत को लेकर बना लिया जाए.
मन ने आज कहा कि पन्द्रह अगस्त से बेहतर शुभ दिन और क्या हो सकता है इस नेक काम के लिये.तो लीजिये साहब बिसमिल्लाह करता हूँ.उम्मीद है आपकी मुहब्बते और मशवरे मिलते रहेंगे.मुलाहिज़ा फ़रमाएँ सुर-पेटी की पहली पेशकश.
चाहे आज़ादी मिले हमें साठ से ज़्यादा बरस का समय हो गया लेकिन जिस तरह से अंग्रेज़ों ने हमें ग़ुलाम बना कर रखा था वह हमारे इस महान देश का दर्दनाक अध्याय है.जब देश को आज़ादी मिली तो पूरे देश ने इसका जश्न मनाया. फ़िल्म संगीत में भी कुछ ऐसी बेजोड़ रचनाएँ रचीं गईं जिन्होंने अवाम में स्वर को अभिव्यक्त किया. फ़िल्म संगीत हमेशा जनरूचि को ध्यान में रख कर रचा जाता रहा है इसीलिये वह संगीत की दीगर विधाओं से ज़्यादा लोकप्रिय है.राष्ट्रीयता को लेकर अनेक गीत रचे गए हैं लेकिन आज जो गीत आप सुनने जा रहे हैं वह इस लिहाज़ से विशिष्ट है कि इस गीत के बाद लता मंगेशकर का नाम सुर्ख़ियों में आ गया था. ध्वनि-मुद्रिकाओं के संकलनकर्ता सुमन चौरसिया बताते हैं कि संगीतकार ग़ुलाम हैदर द्वारा कम्पोज़ किये गए फ़िल्म मजबूर (1948) के इस गीत को मुकेश और लता ने गाया है. बहुत आसान शब्द हैं जो सुनने वाले को आनंदित कर देते हैं.भारत के लोकजीवन में गाए बजाने जाने वाले गीत की रंगत आपको इस रचना में सुनाई देगी. गीतकार हैं नज़ीम पानीपती.एक ख़ास बात ; जब इस गीत को सुनें तो लताजी की आवाज़ की ताज़गी पर ज़रूर ग़ौर करियेगा.मुकेश का स्वर भी आपको अधिक मीठा सुनाई देगा.
एक गुज़ारिश: जब इस गीत सुनें तो हमारे अमर सेनानियों को भी याद करें;क्योंकि आज यदि आप हम आज़ाद हवा में सांस ले पा रहे हैं तो ये उन्ही सपूतों की क़ुरबानियों से संभव हो पाया है.क्या ही अच्छा हो कि आप हम सब देश-प्रेम के जज़्बे को सिर्फ़ पंद्रह अगस्त से कुछ और अधिक विस्तृत कर पाएं.वंदेमातरम.
14 comments:
आप के इस गीत ने बहुत कुछ याद दिला दिया.ओर गीत बहुत सुन्दर लगा, हमारे बुजुर्गो ने इन गोरो को भगाया, शायद इसी बात को ले कर यह गीत बना होगा, ओर हम ने गोरी को फ़िर से अपनी आका बना दिया......
धन्यवाद
अपने नये-नकोरे ब्लॉग पर आपकी यह प्रेम-पूर्ण और पहली टिप्पणी हमेशा स्मृति में बनी रहेगी.आभार.
बहुत सही शुरुआत है संजय भाई. ऐसे ही दुर्लभ और उम्दा गीतों का इंतज़ार रहेगा. बधाई .... सच में न जाने कितने सालों बाद सुना ये गीत.
संजय भाई को इस मधुर चिट्ठे की शुरुआत पर बधाई और हार्दिक शुभकामनाएं । word verification हटा लेंगे तो टिप्पणीकर्ताओं को सुविधा रहेगी।
मुझे मुकेश की आवाज बहुत पसंद है,और आज देश-भक्ति का यह गीत मन को बहुत अच्छा लगा,आप ठीक कह रहे हैं हर दिन आज़ादी का है,देश भक्ति का जज्बा भी हर दिन होना चाहियें...
सही शुरुआत है ...बधाई और हार्दिक शुभकामनाएं .
स्वतंत्रता दिवस की बहुत बधाई एवं शुभकामनाऐं.
एक बेहतरीन शुरूआत ।
इस गाने की चर्चा बहुत सुनी थी पर ये गाना सुनने नहीं मिला था । इसमें 'अंग्रेजी छोरा' वाला एक्सप्रेशन कमाल का है ।
क्या ये गाना इसी तरह रीवर्ब के साथ है या फिर रिकॉर्डिंग में कहीं से रीवर्ब आया है । या पैदा किया गया है ।
:)
अरे wakai nayaab cheez laye hain sanjay bhai....ab itne saare blogs kaise manage karenge aap :)
अरे wakai nayaab cheez laye hain sanjay bhai....ab itne saare blogs kaise manage karenge aap :)
वाह संजय भाई, आपने आज़ादी के दिन को नया रंग दे दिया। बहुत सुंदर गीत, पहली बार सुना, बहुत अच्छा लगा। इस ब्लॉग में भी आप सुरों की बरसात करते रहेंगे ऐसी आशा है। नए ब्लॉग और स्वतंत्रता दिवस के लिए शुभकामनाएं।
संजय दा,
आपका कहना: 'सुनने वाले का काम भी कलाकार से कम नहीं !' बड़ा पसंद आया |
शुभेच्छा है : आपके ब्लॉग पर पहचाने और अनजाने दोनों तरह के पारखी श्रोता गणों की आवत जावत ख़ूब रहे |
अच्छा विंटेज गीत आपने सुनवाया है |
वंदेमातरम.
क्या कहें, आपकी हर बात निराली, हर काज अनोखा, और हर तक्रीर मीठी और सुरीली . शुभकामनाओं के साथ यह आशा की यह ब्लोग भी फ़लता रहे, फ़ूलता रहे.आमीन..
www.fluteguru.in
Pandit Dipankar Ray teaching Hindustani Classical Music with the medium of bansuri (Indian bamboo flute). For more information, please visit www.fluteguru.in or dial +91 94 34 213026, +91 97 32 543996
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