मालवा के लोक संगीत में शास्त्रीय रागों की असीम संभावना तलाशने वाले
कुमारजी ने एक तरह से मालवा को वैश्विक पहचान दी . प्रस्तुत रचना राग
मालावति में निबध्द है जिसमें कुमारजी ने मालवी बंदिश को पिरो दिया है.
कलाकार हमेशा अपने कलाकर्म से संगीतप्रेमियों के दिलो-दिमाग़ में अमर रहता है
यह बात कुमारजी को सुनकर सहज ही महसूस किया जा सकता है. छोटी छोटी लेकिन सुघड़ तानों से कुमारजी कैसे एक सुरीला वितान रचते है आइये सुनते हैं.
बदिश का भाव यह है कि बना यानी दूल्हा घर आया है सो आज का दिन मंगलमय हो गया है. बनरा(बन्ना यानी दूल्हा)सहेलियाँ देख आईं है और मैं बावरी हो कर ये गीत गाने लगी हूँ..मंगल दिन आज बना घर आयो.
8 comments:
जय हो!!!! आभार इस प्रस्तुति का. आनन्द आ गया. साधुवाद!
आदरणीय संजयजी , पहला काम किया इसे डाउनलोड कर लिया। अब आप से एक अनुरोध- कुमार गन्धर्व का एक भजन बचपन में सुनता था-'धुन सुन के मनवा मगन हुआ जी ,लागी समाधि गुरु चरणादि,अन्त समय दुख दूर हुआ जी'- इसे प्रस्तुत कर दें। सुब्बाराव भाई भी इसे गाते थे और रेडियो पर भी आता था।
अफ़लातून
बहुत सुंदर प्रस्तुति,आप जैसे संगीत प्रेमियों के कारण ही भारतीय संगीत आज भी जिवंत हैं और उसका भविष्य उज्व्वल हैं .
waah lajaavab shabd nahi hai aur kuch kahne ko
लाजवाब !
आनन्दम-आनन्दम !
मंगलवार को इस मंगलमय गीत नें दिन मंगलमय कर दिया!!
स्वर से सृष्टी उत्पन्न करना इसे ही कहते हैँ !
जिसे हमारे सँजय भाई ने पेश किया 1
ये अनमोल तोहफा ~~~ aah !
ऐसी कला को और ऐसे कलाकार को मेरे शत शत नमन !
- लावण्या
www.fluteguru.in
Pandit Dipankar Ray teaching Hindustani Classical Music with the medium of bansuri (Indian bamboo flute). For more information, please visit www.fluteguru.in or dial +91 94 34 213026, +91 97 32 543996
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