Sunday, October 5, 2008
उस्ताद राशिद ख़ाँ ; आओगे जब तुम साजना
भारतीय चित्रपट संगीत हमेशा से रचनाधर्मी रहा है। थोड़ा पीछे जाएँ तो याद आता है कि उस्ताद अमीर ख़ॉं , उस्ताद बड़े ग़ुलाम अली ख़ॉं, पं. डी.वी. पलुस्कर, बेग़म अख़्तर, पं. भीमसेन जोशी, विदूषी निर्मला अरुण, विदूषी किशोरी अमोणकर, लक्ष्मी शंकर, आरती अंकलीकर, पं. अजय चक्रवर्ती, संजीव अभ्यंकर जैसे कई स्वनामधन्य कलाकारों की आवाज़ का ख़ूबसूरत इस्तेमाल फ़िल्म इण्डस्ट्री ने किया है। अभी हाल ही में प्रकाशित करीना कपूर और शाहिद कपूर की फ़िल्म "जब वी मेट' में उस्ताद राशिद ख़ॉं साहब की आवाज़ का जलवा बिखरा है। कम्पोजिशन बड़ी प्यारी बन पड़ी है और शानदार साउण्ड इ़फ़ैक्ट्स और वाद्यवृंद के साथ रामपुर- सहसवान के इस जश्मे-चिराग़ का जादू महसूस करने की चीज़ है। खरज में डूबी उस्ताद राशिद ख़ॉं की आवाज़ का प्रभाव कुछ ऐसा है पाश्चात्य वाद्यो के बीच में भी वह ख़ालिस और निर्दोष नज़र आता है। जिन आवाज़ों ने पिछले दस बरस में हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत का परचम लहराया है उसमें उस्ताद राशिद ख़ॉं का नाम सबसे आगे है। शास्त्रीय संगीत की रहनुमाई करने वाले इस स्वर साधक ने शब्दों के प्रभाव पर क़ायम रहते हुए इस बन्दिश को जिस तरह से निभाया है यह सुनकर ही महसूस किया जा सकता है। हॉं ग़ौर करने की बात यह भी है कि चित्रपट संगीत सीमित समय के अनुशासन का संगीत होता है लेकिन यहाँ भी राशिद ख़ॉं जैसे गुणी कलाकार अपना खेल दिखा ही जाते हैं।
मुलाहिज़ा फ़रमाईये....
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13 comments:
वाकई उस्ताद राशिद खाँ का जवाब नहीं .....और आप भी चुन के मोती ही लाते हैं आपका भी जवाब नहीं.....बहुत बहुत शुक्रिया
kisi ne badey israar se rashid khaan ko pehli baar sunvayaa thaa..vo din se aaj tak ye khuubsurat aavaaz phir kaano se utri nahi...shukriyaa sanjay bhayi...badhiya post ke liye
इन बड़ी हस्तियों के साथ राशिद ख़ान का नाम लेना उचित साबित होगा ।
संजय दा,
कुछ दिनों पहले जब यह गीत रेडियो पर पहली बार सुना था तबसे ही मन में बस गया है और अब जहाँ भी सुनाई देता है ,ऐसा लगता है मेरी ही फरमाइश पर है |
राशिद खाँ साहब को एक बार कानपुर में सुना था कई साल पहले। अबभी उसकी याद ताज़ा है। यह गीत तो खैर बच्चों ने न जाने कितनी बार सुनवाया होगा। शानदार गायकी । और प्रस्तुति का शुक्रिया।
Mujhe Vimal ji ne ye geet mumbai mein sunwaya tha apne mobile pe aur man sangeet mein vbah chala tha...
sunvaane ka aabhaar..
sanjay ji,
aap nahi jante ki kitne dino baad itna achhi bandish suni hai...pichli baar aapne abida parvin ki ek kriti sunayi thi wo bhi lajawab thi...
ustad rashid khan to kaano mein ras ghol gaye hain
क्या बात है, वाह!
बहुत सुंदर, धन्यवाद!
vakai sundar geet hain
Sanjay bhai, Namskaar,
Meer photo blog ki link de raha hun zarur dekhen
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thanks dear....
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