Thursday, November 13, 2008
काँटा कोई दामन थामेगा जब जब याद मेरी आएगी
सितारा बन गए तो इसका मतलब ये नहीं कि किसी भी चीज़ को आप हल्के से लें.ये बात उस्ताद मेहंदी हसन साहब से सीखी जा सकती है.अब देखिये उन्होंने ग़ज़ल की दुनिया में तमाम ऊँचाईयाँ पा लेने के बाद भी किसी दीगर गायकी को भी पूरी गंभीरता से लिया. चाहे वह फ़िल्म म्युज़िक ही क्यों न हो. आज सुरपेटी पर मेहंदी हसन साहब तशरीफ़ लाए हैं. फ़िल्मी तराना होने के बावजूद ख़ाँ साहब की गायकी का नूर पूरी तरह मौजूद है. जैसे हम संसारी अपने ज़ेवरों को दमका के रखते हैं वैसे ही मेहंदी हसन अपने सुर से एक एक शब्द को माँज कर चमका देते हैं.मज़ा ये कि उनके गले से निकली शायरों के कलाम अलग ही दमकते नज़र आते हैं. चलिये गीत सुन लें....
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8 comments:
खुबसूरत गीत है भीगी हुई आंखों का काजल, मेहदी हसन साहेब का एक गीत अभी कुछ दिन पहले हमने भी सुनाया था
भीगी हुई आंखों का काजल...bahut hi khubsurat geet hai..aaj kal mehadi hasan sahab bahut bimaar chal rahey hain -aisa sunNey mein aaya hai--ishwar se dua kartey hain ki jaldi hi swasth hon taki aisey hi aur madhur get aur suna paayen--
क्या बात है!आनन्द आ गया.
बेहद सुरीली पोस्ट के लिये शुक्रिया सँजय भाई
- लावण्या
हमेशा की तरह उम्दा उस्ताद मेहंदी हसन का गायन और आपकी पसंद दोनों।
bahut hi achchha hai.patel sa ki mehanat dikhati hai.
संजय जी आपको बधाई आज के दैनिक हिन्दुस्तान में आपके ब्लॉग सुर पेटी और मेरे ब्लॉग वीणापाणी की काफी अच्छी रिपोर्ट आई हैं ,जिसकी प्रति मैंने आपको ईमेल कर दी हैं .पुनः : बधाई
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Pandit Dipankar Ray teaching Hindustani Classical Music with the medium of bansuri (Indian bamboo flute). For more information, please visit www.fluteguru.in or dial +91 94 34 213026, +91 97 32 543996
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