
पटियाला घराने की गायकी के अनुगामी पं.अजय चक्रवर्ती की यशस्वी सुर-पुत्री कौशिकी
के गले में अपने पिता-गुरू की सारी ख़ूबियाँ मौजूद हैं.वे जब जो गा रहीं है तो अपनी एक विशिष्ट छाप छोड़ देतीं हैं.अल्पायु में ही उन्हें नाम,शोहरत और प्रतिष्ठित मंच मिलने लग गए थे. आज सुर-पेटी पर राग मिश्र तिलंग में निबध्द भजन कौशिकी के स्वर में सुरभित हो रहा है. यह मीरा-भजन न जाने कितनी बार कितनी ही गायिकाओं से आपने सुना होगा लेकिन यहाँ कौशिकी के स्वरों का अंदाज़ ही कुछ निराला है.क्लासिकल म्युज़िक से जुड़े होने के बाद भी जब वे भजन गा रहीं हैं तो शब्द की शुध्दता को क़ायम रख रहीं हैं.जहाँ भी उन्होंने किसी पंक्ति को एक ख़ास घुमाव दिया है वहाँ वह लाज़मी सा लगता है. आइये कौशिकी को सुनें
Kaushiki Chakrabar... |