राग मारवा के स्वर और आशा भोंसले की आवाज़.एक लम्हा लगता है सुनने वाले को जैसे संबोधित कर आशाजी कह रहीं है...साथी रे भूल न जाना मेरा प्यार..(फ़िल्म:कोतवाल साब)
चित्रपट संगीत के दायरे में मारवा का इस्तेमाल और उस पर आत्मा को चीरता सा आशा-स्वराघात.
आशाजी के गायन में तड़प और मुहब्बत की चाशनी झरी जाती है. गीत सुनेंगे तो सीने पर हाथ धरे रह जाएगा.शायद इस कम्पोज़िशन को सुन कर पूरी रात जागते रहें आप. क्योंकि जिस तरह से सारी पंक्तियाँ गाने के बाद मुखड़े पर आशाजी आतीं है तब लगता है पूरा जगत एक वीराना है और विकल करता यह स्वर जैसे हमसे ही एक वादा ले रहा है. शब्द सुनें और स्वर का मेल देखें तो लगता है ठंडक भी है और आग भी.
यूँ भी लगता है कि किसी हाई-वे पर आप बस में बैठ चुके हैं और सरसराती एक आवाज़ को आप सुन नहीं देख रहे हैं जो आपसे कह रही है साथी रे...भूल न जाना मेरा प्यार.
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9 comments:
बडा अनोखा,
कम सुना गीत सुनवाया आपने
सँजय भाई !
आशा जी की क्या बात है !
कला और कलाकार २ अलग होकर भी एक हैँ !
स्नेह,
- लावण्या
अच्छा लगा ।
वाह, बहुत ही सुमधुर गीत है
निसंदेह, यह एक बेहद क्लिष्ट मगर श्रवणीय संगीत रचना है. इस में सुरों का चयन फ़िल्मी गीतों में आम तौर पर किये जाने वाले तौर तरीके से नही किया गया है, जहां या तो Chord based या एक निश्चित सरगम का pattern बनता है.
जैसे एक पतंग कई कलाबाज़ीयां खा कर एकदम सध जाती है, वैसे ही भूल ना जाना की अठखेली के बाद मेरा प्यार पर गीत ठहर जाता है.
अमूमन, ऐसी बंदिशें हृदयनाथ मंगेशकर या गुलाम अली ही देते हैं. उन दोनों का आशा जी के साथ की यादें जहन में आती है. फ़िर कभी.
बेहद मन भाया.. मधुर गीत दिल में उतर गया.
ढलती रात में ही सुना संजय भाई। अदभुत।
कितना दर्द हो सकता है किसी की आवाज़ में...
www.fluteguru.in
Pandit Dipankar Ray teaching Hindustani Classical Music with the medium of bansuri (Indian bamboo flute). For more information, please visit www.fluteguru.in or dial +91 94 34 213026, +91 97 32 543996
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